Sunday, December 9, 2012

चील की तरह व्याकुल हूँ फलदार पेड़ सा स्थिर होना चाहता हूँ

स्पार्टा में जब बच्चे करियर के चयन की दिशा में आगे बढ़ते हैं तो उनकी रुचि जानने के लिए एक परीक्षा ली जाती है। परीक्षा के नतीजों के आधार पर तय किया जाता है कि उसे किस दिशा में जाना है। कुछ सालों पहले इंडिया टूडे ने अपने पाठकों के लिए भी ऐसी ही परीक्षा ली थी, यह मुझे बड़ी रुचिकर लगी थी। इसमें अनेक प्रश्न थे लेकिन एक प्रश्न मुझे बड़ा रोचक लगा।
                                                                   इसमें दो विकल्प दिए गए थे आप किसे चुनेंगे। पहला एक पहाड़ी इलाके में चील के रूप में या दूसरा एक बगीचे में फलदार पेड़ की तरह। शायद इससे तय होता कि आप जीवन में एडवेंचरस कार्य करना चाहते हैं या लोकोपकारी कार्य। आपको गतिशीलता चाहिए या स्थिरता। मुझे चील की गतिशीलता तो पसंद थी लेकिन उसकी गतिशीलता किसी के लिए उपयोगी नहीं थी। मैं तो फलदार पेड़ होना चाहता था। अफसोस ऐसा हो न सका..... और अब दिल में एक बेचैनी रहती है।
                                                                                                                               मैं आजकल ज्योतिष में रुचि ले रहा हूँ। कल मेष राशि के जातकों का स्वभाव पढ़ते समय अचानक एक जगह ठिठक गया। इन जातकों में एक अजीब बेचैनी होती है उनमें संयम का अभाव है। मानों कुछ कर गुजरने के सिवा कोई चारा न हो। चूँकि मैं भी इस जातक का हूँ अतएव यह बेचैनी मुझमें भी है। फलदार पेड़ न हो पाने की बेचैनी।
                                                                                                                                                     एकबारगी ऐसा लगता है कि चील का काम बड़ा कठिन है सबसे जुदा होकर मीलों आकाश में विचरना लेकिन सार्वजनिक जीवन में फलदार पेड़ की नियति भी सब को मालूम है। सबके हाथों में पत्थर होते हैं और आप निहत्थे। इसके लिए बड़े करेज की जरूरत है यह मुझमें नहीं।
                                                                                                मैं लोगों के लिए अच्छा करना चाहता हूँ अपने जीवन की सार्थकता चाहता हूँ लेकिन अफसोस ईश्वर ने मुझे एक अजीब बेचैनी दी है। मैं चील की तरह व्याकुल हूँ लेकिन फिर भी पेड़ की तरह स्थिरता चाहता हूँ।  अब मुझे लगता है कि स्पार्टा वालों को तीसरा विकल्प भी देना चाहिए था कि अगर आपमें चील की तरह बेचैनी और पेड़ की तरह लोकोपकार की आकांक्षा है तो आप क्या करें? शायद इससे मेरे दिल को कुछ करार मिल पाता..............  





4 comments:

  1. क्या आप भी मेष रही वाले हैं मेरी तरह ...? मुझे ऐसा लगता है कि मेरे अंदर भी सनयां का बहुत अभाव है जिसके कारण कई बार ऐसा महसूस होता है कि मैं दिशा हीं हूँ मुझे खुद ही नहीं पता कि मुझे आख़िर चाहिए क्या गतिशीलता या ठहराव ...शाद इस राशि के अधिकांश लोग के साथ ऐसा ही होता हो....

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  2. कुछ दिल ही ऐसे होते हैं जो सदा बेकरार रहते हैं. जो बहुत कुछ दे भी जाता है .

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  3. सुन्दर चित्रण...उम्दा प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...

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  4. आप का ..अपनी यादों को याद करने का अंदाज़ बहुत पसंद आया ....
    और अपने अहसासों को महसूस करने का भी !
    शुभकामनायें!

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आपने इतने धैर्यपूर्वक इसे पढ़ा, इसके लिए आपका हृदय से आभार। जो कुछ लिखा, उसमें आपका मार्गदर्शन सदैव से अपेक्षित रहेगा और अपने लेखन के प्रति मेरे संशय को कुछ कम कर पाएगा। हृदय से धन्यवाद