स्कूल में भेजने की क्या उम्र होनी
चाहिए, मैं इस मामले में कुछ
कहना नहीं
चाहता लेकिन यह जरूर जानता हूँ कि कुछ विलक्षण बच्चों को छोड़कर अधिकांश बच्चों के
दिमाग में शुरुआती सालों में कुछ भी नहीं घुसता। फिर भी जो चीज दिमाग में नहीं जाती, दिल में नहीं जाती वो भी गुत्थी की तरह स्मृति में जमा हो जाती है।
मसलन क्लास १ में पढ़ी हुई प्यासा कौआ की कहानी, मेरी मम्मी बार-बार प्यासे कौवे की सूझबूझ का दृष्टांत देती
लेकिन मुझे समझ में नहीं आता, बस इतना ही
समझ में आता कि उसने पानी पीने में सफलता हासिल कर ली। जबकि मैं तो भावुक हो जाता था कि प्यासा
कौआ किस प्रकार पानी प्राप्त करेगा। शिकारी के जाल में फंसे शेर को चूहे द्वारा
निकाला जाना भी मुझे खास नहीं भाया, मन में ऐसा लगा कि हो सकता है यह इत्तफाक हो। फिर भी इन कहानियों में एक
विलक्षण सी चीज होती थी इनके चित्र। मसलन प्यासा कौआ वाली कहानी का चित्र मुझे आज तक याद है शेर वाला भी
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अरसे बाद जब हड़प्पा सभ्यता में लोथल से मिली पुरातात्विक सामग्रियों के बारे में पढ़ा तो एक ऐसे बर्तन के बारे में पढ़ा जिसमें यह कथा अंकित थीं। यह चकित करने वाला अनुभव था, हर बार पीढ़ी-दर-पीढ़ी माताएँ अपने बच्चों तक इस कथा का श्रवण करती गईं। पंचतंत्र के संग्रहक ने ऐसी बहुत सी कहानियाँ सुनी होंगी और स्टोरी टेलिंग के अपने खास अंदाज में इन्हें परोसते चले गए होंगे।
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बचपन में सबसे खास कहानी जो पढ़ी थी वो थी हरपाल सिंह नामक एक युवक की कहानी जिसे एक बूढ़े ने पाँच सलाह दी थी। मुझे दो सलाह अब तक याद है पहली जहाँ कहीं भी ज्ञान की बात सुनने मिलें, वहाँ रुक जाओ तथा कभी ऐसी बात न कहो जिससे किसी का दिल दुखे। दूसरी सलाह बडे़ काम की थी, हरपाल सिंह को राजा के काफिले में शामिल कर लिया गया था, चारों ओर रेगिस्तान था, अंततः एक बावली आई। इस बावली में एक युवती थी जो अपने पति की हड्डी बन चुकी लाश को लिए हुए खड़ी थी। जो भी पानी लेने आता उसे पूछती कि यह दिखने में कैसा है लोग हँस देते और वो उन्हें पानी पीने से रोक देती। राजा के कारिंदे पानी लाने में विफल हो गए। अंततः हरपाल सिंह पहुँचा, उसने कहा कि ये तो बहुत सुंदर है। युवती खुश हो गई और उसने हरपाल सिंह को पानी ले जाने की इजाजत दे दी
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यह कहानियाँ उस समय समझ नहीं आई थीं लेकिन ये जेहन में कैद हो गई थी। मैंने कभी बावड़ी नहीं देखी थी। उस चित्र में बावड़ी को देखना अच्छा लगा। अरसे बाद एक भक्त के प्रश्न के उत्तर में रविशंकर महाराज से कहते हुए सुना कि जब हम बच्चे को बताते हैं कि भगवान ऊपर रहता है तो वो न तो इंकार करता है और न ही स्वीकार करता है वो अपने मन में रख लेता है। इन कहानियों को भी हम लोगों ने अपने मन में बसा लिया।
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हरपाल सिंह की कहानी का मेरे जीवन में विशेष महत्व है। मेरे एक दोस्त को मैंने यह पुरानी कहानी सुनाई, उसे भी याद थी और उससे वादा लिया कि हमेशा बूढ़े की पाँच बातें अपने जीवन में अमल करेगा। अब तक वो हरपाल सिंह की राह पर चल रहा है भगवान करें आगे भी वो इसी राह पर चलता रहे।
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अरसे बाद जब हड़प्पा सभ्यता में लोथल से मिली पुरातात्विक सामग्रियों के बारे में पढ़ा तो एक ऐसे बर्तन के बारे में पढ़ा जिसमें यह कथा अंकित थीं। यह चकित करने वाला अनुभव था, हर बार पीढ़ी-दर-पीढ़ी माताएँ अपने बच्चों तक इस कथा का श्रवण करती गईं। पंचतंत्र के संग्रहक ने ऐसी बहुत सी कहानियाँ सुनी होंगी और स्टोरी टेलिंग के अपने खास अंदाज में इन्हें परोसते चले गए होंगे।
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बचपन में सबसे खास कहानी जो पढ़ी थी वो थी हरपाल सिंह नामक एक युवक की कहानी जिसे एक बूढ़े ने पाँच सलाह दी थी। मुझे दो सलाह अब तक याद है पहली जहाँ कहीं भी ज्ञान की बात सुनने मिलें, वहाँ रुक जाओ तथा कभी ऐसी बात न कहो जिससे किसी का दिल दुखे। दूसरी सलाह बडे़ काम की थी, हरपाल सिंह को राजा के काफिले में शामिल कर लिया गया था, चारों ओर रेगिस्तान था, अंततः एक बावली आई। इस बावली में एक युवती थी जो अपने पति की हड्डी बन चुकी लाश को लिए हुए खड़ी थी। जो भी पानी लेने आता उसे पूछती कि यह दिखने में कैसा है लोग हँस देते और वो उन्हें पानी पीने से रोक देती। राजा के कारिंदे पानी लाने में विफल हो गए। अंततः हरपाल सिंह पहुँचा, उसने कहा कि ये तो बहुत सुंदर है। युवती खुश हो गई और उसने हरपाल सिंह को पानी ले जाने की इजाजत दे दी
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यह कहानियाँ उस समय समझ नहीं आई थीं लेकिन ये जेहन में कैद हो गई थी। मैंने कभी बावड़ी नहीं देखी थी। उस चित्र में बावड़ी को देखना अच्छा लगा। अरसे बाद एक भक्त के प्रश्न के उत्तर में रविशंकर महाराज से कहते हुए सुना कि जब हम बच्चे को बताते हैं कि भगवान ऊपर रहता है तो वो न तो इंकार करता है और न ही स्वीकार करता है वो अपने मन में रख लेता है। इन कहानियों को भी हम लोगों ने अपने मन में बसा लिया।
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हरपाल सिंह की कहानी का मेरे जीवन में विशेष महत्व है। मेरे एक दोस्त को मैंने यह पुरानी कहानी सुनाई, उसे भी याद थी और उससे वादा लिया कि हमेशा बूढ़े की पाँच बातें अपने जीवन में अमल करेगा। अब तक वो हरपाल सिंह की राह पर चल रहा है भगवान करें आगे भी वो इसी राह पर चलता रहे।
पुरानी कहानियाँ और उनके सन्देश वाकई जीवन जीने में मददगार होते हैं.
ReplyDeleteसार्थक पोस्ट .
एक शिक्षापरक पोस्ट के लिए धन्यवाद। मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है।
ReplyDeleteThank you for writing so much great content. This is a great article with well-scripted, engaging content that is full of original and sensible views. Much of your informative content is in line with my way of thinking. From Dont Be that guy
ReplyDeleteबचपन में सुनी कहानियों में जादू था ...
ReplyDeleteभाई क्या आप से हरपाल सिंह की कहानी मिल जायेगी. sameergupta319@gmail.com plz bheje.
ReplyDeleteSir send me 5 baaten hindi kahaani link
ReplyDeletePlease if you have this story send me link in my email id neerajrvshukla@gmail.com
ReplyDeletekash hamare desh kei neta es bat ko smjhte to shayd tukde bhi nhi hote.
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रसंग
ReplyDeletewah
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