Monday, December 5, 2011

क्यों अच्छा नहीं लगेगा, ऐसे जीना...


88 की उम्र में टि्वट करते थे देवानंद
फिक्र को धुंए में उड़ाते जुट जाते थे नई फिल्म की शूटिंग के लिए
82 की उम्र में डायलिसिस करा सीधे सेट पर पहुँचते थे शम्मी
भारत के अगले रॉकस्टार को तैयार करने का जुनून
दिखता था उनके अंदर

82 में ही आडवाणी निकालते हैं लंबी रथयात्रा
घंटों खड़े स्वीकार करते हैं अभिवादन जनता का
पीएम बनने का सपना युवा जो है
100 की उम्र में मैराथन दौड़ते हैं फौजा सिंह
बढ़ती उम्र से पैदा होने वाली निराशा को पीछे छोड़ते हुए
और 82 की उम्र में ही मेरे बड़े पिता जी
मंदिर में गिरने से पैर टूटने के बाद
फिर जाने लगे हैं मंदिर
78 की मेरी बुआ
कमर टूटने के बाद फिर खड़ी हो गई है
 शहर छोड़कर वो जा रही है उसी गाँव में,
 जहाँ उसकी कमर टूटी थी।
  86 की मेरी बुआ
  हड्डियाँ टूटने के इतने समाचार सुनकर
  चिंतित होकर कहती हैं ये इतने अधीर क्यों हैं
शांति से बैठें तो जी लेंगे कुछ और दिन...
सबको जीना अच्छा लगता है
क्यों अच्छा नहीं लगेगा, ऐसे जीना..

5 comments:

  1. सच कहा है ...जिंदगी जिन्दा दिली का नाम है.

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  2. जिन्दा दिली का नाम है जिंदगी

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  3. पिछले २ सालों की तरह इस साल भी ब्लॉग बुलेटिन पर रश्मि प्रभा जी प्रस्तुत कर रही है अवलोकन २०१३ !!
    कई भागो में छपने वाली इस ख़ास बुलेटिन के अंतर्गत आपको सन २०१३ की कुछ चुनिन्दा पोस्टो को दोबारा पढने का मौका मिलेगा !
    ब्लॉग बुलेटिन इस खास संस्करण के अंतर्गत आज की बुलेटिन प्रतिभाओं की कमी नहीं 2013 (6) मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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आपने इतने धैर्यपूर्वक इसे पढ़ा, इसके लिए आपका हृदय से आभार। जो कुछ लिखा, उसमें आपका मार्गदर्शन सदैव से अपेक्षित रहेगा और अपने लेखन के प्रति मेरे संशय को कुछ कम कर पाएगा। हृदय से धन्यवाद