Tuesday, September 17, 2013

बेशर्म और खुदगर्ज सियासत



सियासत को देखने का मेरा अनुभव तीन दशक का है लेकिन इसका इतना बेशरम और खुदगर्ज रूप मैंने कभी नहीं देखा जो इन दिनों भारत के उत्तरी सूबे में नजर आ रहा है। इस सूबे की सरकार ने लोकतंत्र की परिभाषा ही बदल कर रख दी है गुंडों की, गुंडों द्वारा चलाई गई और गुंडों के लिए चलाई जा रही सरकार। अगर आपको ऐतराज हो तो गुंडों को बख्श सकते हैं और इसकी जगह ज्यादा इज्जतदार शब्द माफिया को जगह दे सकते हैं जो रेत से लेकर रेल के ठेकों तक हर मौजूद है।
 उन्होंने अपना जमीर खो दिया है लेकिन इज्जत खूब कमा ली है क्योंकि वहाँ इज्जत अब जमीर में नहीं रही, वो रूतबे में पलती है। जब मैडम गद्दी में थी तब मैडम के चप्पल उठाया करते थे, अब कुँअर साहब गद्दी में है तो उनके जूते साफ करते हैं। इस उत्तरी सूबे में केवल चेहरे बदल जाते हैं चरित्र नहीं बदलते। जब स्टिंग आपरेशन होते हैं तो सब हमाम में नंगे हो जाते हैं और नंगों की इतनी फौज खड़ी हो जाती है कि यकीन कर पाना मुश्किल होता है कि सियासत ने सभ्यता की राह में दो-चार कदम बढ़ाए भी या नहीं।
लूटी-पिटी और दागदार हो चुकी सियासत को बचाने वे न्यूज चैनलों में अपने नुमायंदे भेजते हैं फेस सेविंग की इस कोशिश में उनके दाग और फैल जाते हैं। स्टिंग आपरेशन में दिखाए तथ्यों से इंसानियत भले ही तार-तार हो जाए, मेहमानों की चुहल देखते ही बनती है आखिर लाइट मूड में ही तो बेहतर संवाद हो पाता है।

8 comments:

  1. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .. आपकी इस रचना के लिंक की प्रविष्टी सोमवार (23.09.2013) को ब्लॉग प्रसारण पर की जाएगी, ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें .

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  2. सौरभ शर्मा जी ...बहुत दिन बाद लिखा ...पर खूब लिखा न जाने क्यों आप का लेख मेरी फीड में अभी तक नही दिख रहा ..ये तो आभार नीरज जी का जिनका मेरे इनबॉक्स में मेल आया ...तब पता चला कि आपके कमान से तीर निकला है ....
    पर अफ़सोस आजकल के तीर बगैर किसी का कुछ बिगाड़े वापस अपने ही तरकश में वापस आ जाते हैं ..अब क्या करे कोई ...जब लोग बातों से घायल हो जाते थे ..अब तोपों से बच निकलते हैं ....खैर आपने अपना काम किया उसकी बधाई स्वीकारें ..और अपना कर्म ज़ारी रखें ...शुभकामनायें!

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    1. main aapse sahmat hun lekin aapke margdarshan par karm jari rakhna hai.

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  3. बहुत सटीक प्रस्तुति...

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  4. इतनी बेबाक औक सटीक अभिव्यक्ति के लिये बधाई ।

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  5. इतनी बेबाक औक सटीक अभिव्यक्ति के लिये बधाई ।

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  6. आपका कहना बिलकुल सच है ... जितनी गिरी हुई आज की सियासत है उतनी पहले कभी नहीं रही ... पता नही आगे भी यही हाल रहने वाला है या कुछ बदलाव आने वाला है ... अभी तक तो यही लगता है की सभ्यता की गति उलटी कर रहे हैं राजनेता ...

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आपने इतने धैर्यपूर्वक इसे पढ़ा, इसके लिए आपका हृदय से आभार। जो कुछ लिखा, उसमें आपका मार्गदर्शन सदैव से अपेक्षित रहेगा और अपने लेखन के प्रति मेरे संशय को कुछ कम कर पाएगा। हृदय से धन्यवाद