सिगरेट में कभी
दिलचस्पी नहीं रही, केवल इतनी कि इसकी बनावट बहुत सुंदर होती है और
बचपन में इसका रेपर अच्छा लगता था। उन दिनों फोर स्क्वायर की सिगरेट का एक एड आता
था। मैगजीन में अंग्रेजी के विज्ञापन में ऊपर चार शब्द लिखे होते थे लिव लाइफ किंग
साइज। इसमें जादू था, उसके हाथों में सिगरेट होती थी, चारों ओर किताबें, टेबल पर
एक प्रोजेक्ट, उसके आँखों में बड़े सपने थे। मुझे लगता कि वो शख्स ऐसे ही जिंदगी
जीता भी है लिव लाइफ, किंग साइज। इस एड को देखकर मैंने मन में एक बिंब बना लिया था
कि मैं सबसे बड़ी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करूँगा, ऐसे ही एक रूम में, हाँ
सिगरेट मेरे हाथों में नहीं होगी।
बाद में यह एड आना
बंद हो गया.... एक बार काफ्का की सेल्समैन पर एक कहानी का एक हिस्सा कहीं पढ़ने
मिला, उसकी एक लाइन थी, एक सुबह वो सोकर उठा और उसने देखा कि वो अपनी जिंदगी में कीड़े
की तरह रेंग रहा है, उसके जीवन का कोई अस्तित्व नहीं, केवल कीड़े की तरह। व्यर्थ।
लिव लाइफ किंग साइज
का यह एड उस वक्त फिर याद हो आया....... हम सब की डेस्टिनी किंग की तरह होती है
लेकिन हम उसे क्या बना देते हैं काफ्का के उसी सेल्समैन की तरह, क्योंकि जिंदगी के
हर जरूरी मौके पर हम अपना साहस कायम नहीं रख पाते, हम छोटी-छोटी छुद्रता के लिए
अपनी गरिमा खो देते हैं।
इस एड को सोचते हुए
और भी कई बातें दिमाग में आती हैं नशे के बारे में भी, क्या हम गाफिल होकर ही अपने
सपनों को पा सकते हैं। क्या किसी नशे के बगैर अथवा वृहत्तर रूप में सोचें तो क्या
किसी साथ के बगैर अकेले ही हम अपने महान उद्देश्यों की ओर नहीं बढ़ सकते। यह काफी
कठिन है मुझे वो शेर याद आता है।
मैं मैकदे की राह पर
आगे निकल गया, वरना सफर हयात का काफी तवील था।
फिर भी मुझे लगता है
कि पान-मसाला और गुटखा की तुलना में सिगरेट बड़ी चीज है उसके पीने में थोड़ी
ज्यादा गरिमा है। मुँह में रजनीगंधा, कदमों में दुनिया जैसे विज्ञापनों की तुलना
में लिव लाइफ, किंग साइज में ज्यादा गहरापन है।
वैसे नशे के इतने सारे
तर्कों के बीच और देवानंद को सिगरेट पीते देखकर दिल के बहुत खुश होने के बावजूद भी
शाहिद कपूर का मौसम फिल्म में कहा हुआ वो डॉयलॉग मुझे सब पर बहुत भारी लगता है। मैं
नशा नहीं करता क्योंकि मुझे लगता है कि जीवन का नशा सबसे बड़ा नशा है।
सिगरेट की अदा..., फिल्म महल में अशोक कुमार जलती सिगरेट खुद को छुला कर देखते हैं कि जाग रहे हैं या सपना है.
ReplyDeleteसचमुच सर वो हमेशा याद रखने वाली अदा है
Deleteवाह कमाल की प्रस्तुति..सिगरेट से जुड़े कई और भी बेहतरीन डॉयलाग है जो आपकी इस पोस्ट को पढ़ने के बाद मेरे ज़हन में ताजा हो रहे हैं।।।
ReplyDeleteबहुत खूब ... पर ये सच है की जीवन का नशा हर नशे से बढ़ के है ...
ReplyDeleteवैसे ये फंतासी प्रभावित तो करती है सभी को ... मैं भी हालांकि सिगरेट पीटा नहीं पर एक कविता जरूर लिखी है इसपे ... जिंदगी सिगरेट का धुवां ...
लिंक दे रहा हूं ... समय मिले तो देखें ...
http://swapnmere.blogspot.ae/2012/07/blog-post_17.html
बहुत सुंदर कविता है यह, लिंक देने के लिए आपका हार्दिक आभार
ReplyDeleteआप रचना पे आए ओर पढ़ा .... बहुत बहुत आभार ...
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