Sunday, November 25, 2012

लाइफ आफ पाई




फिल्म खास है क्योंकि यह इरफान की आवाज से शुरू होती है। कहानी पांडिचेरी की है एक ऐसी दुनिया जो भारत में है लेकिन यहाँ से बिल्कुल अलहदा है। यहाँ के फ्रेंच लोगों को वैसा ही एहसास होता होगा जैसा त्रिनिदाद-टोबैगो में बसे भारतीयों को होता होगा। पांडिचेरी से मुन्नार पहुँच जाता है पाई।



                                  मुन्नार बड़ी खूबसूरत जगह होगी लेकिन उतनी खूबसूरत नहीं होगी जितनी लाइफ आफ पाई में दिखी है। ऊपर पहाड़ियों से नीचे बलखाती नदी को देखना अद्भुत है। पूरी फिल्म में ईश्वर छाया के रूप में हर जगह मौजूद है। यह छाया नई नहीं है बहुत पुरानी, विष्णु के मत्स्यावतार की छाया फिल्म में है। प्रलय के मौके पर यह अद्भुत अनुभव मनु को हुआ होगा जैसाकि पाई को हुआ। प्रलय की उस भयंकर काली रात में पाई आतंकित नहीं था, वह जीवन के अद्भुत रोमांच को महसूस कर रहा था, यह सब कुछ देखना एक आम आदमी के लिए अप्रत्याशित है।
                                                               मैंने विकीपीडिया में एक जगह फिल्म के कैमरामेन की तारीफ देखी, यह बिल्कुल जायज है क्योंकि एक ऐसी स्टोरी जिसमें कुछ भी सच नहीं लगता, कैमरामेन ने अद्भुत सौंदर्य जगाकर सचमुच वास्तविक कर दिया है। आकाश के तारे समंदर के पानी में जगमगा रहे थे, मैंने जहाज से समंदर नहीं देखा, शायद ऐसा नहीं होता होगा लेकिन यदि ऐसा होता तो बेहद खूबसूरत होता।
                       फिल्म अद्भुत है मृत्यु को लेकर। अंतिम दृश्य में पाई कहता है मुझे इस बात का बहुत दुख होता है कि मौत अचानक आ जाती है और हमें अपनों को अलविदा करने का वक्त भी नहीं मिल पाता। हाल ही में मेरी नानी का निधन हुआ है अचानक एक मीटिंग में इस समाचार का मेसेज मिला... ।
                                                    मुझसे कुछ लोगों ने पूछा कि क्या यह फिल्म सच्ची घटना पर आधारित है मैंने कहा नहीं, लेकिन दिल से मेरा उत्तर था हाँ क्योंकि पता नहीं क्यों बार- बार फिल्म का प्लाट मुझे खींच रहा है मैं इसके सम्मोहन से अपने को मुक्त नहीं कर पा रहा।

3 comments:

  1. कथा से परिचित हूँ, लेकिन यह फिल्म मुझे भी देखनी है|

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  2. Film dekhne kee chaht ubhar aayee hai.

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  3. बहुत खूबसूरत और रोचक शब्दों में फिल्म के बारे में आपने बताया है...अब इसे देखे बिना नहीं रहा जाएगा...

    नीरज

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आपने इतने धैर्यपूर्वक इसे पढ़ा, इसके लिए आपका हृदय से आभार। जो कुछ लिखा, उसमें आपका मार्गदर्शन सदैव से अपेक्षित रहेगा और अपने लेखन के प्रति मेरे संशय को कुछ कम कर पाएगा। हृदय से धन्यवाद