(नुक्ते के लिए क्षमा)
इस बार के मास्टर शेफ ने मेरे मन में कई उटपटांग सवाल खड़े कर दिए हैं? मसलन क्या
खाना बनाना भी आर्ट है या शेफ इतने जज्बाती क्यों होते हैं? खाना बनाने का फितूर पुरुषों
पर कैसे सवार हो जाता है? सबसे बड़ा सवाल तो जज्बाती होने का ही है। मास्टर शेफ में
जरा सी चूक हो जाने पर इसके प्रतिभागी बहुत भावुक हो जाते हैं। कई के आँखों में आँसू
हो जाते हैं। कोई-कोई जज्बाती होकर धरती पर बैठ जाते हैं। इस प्रोग्राम को देखने के
बाद कई बातें दिमाग में आ रही हैं मसलन जब कार्य विभाजन हुआ तो महिलाओं को खाना बनाने
की जिम्मेदारी क्यों दी गई। शायद अधिक जज्बाती लोग इसमें रुचि लेते हैं और महिलाएँ
पुरुषों से अधिक जज्बाती तो होती ही हैं इसलिए यह काम उनकी फितरत को देखते हुए दिया
गया।
दिया और बाती सीरियल में मास्टर शेफ की प्रतियोगिता में सूरज राठी ने भी हिस्सा
लिया था। इस सीरियल को देखने के बाद मेरे मन में प्रश्न उठा कि क्या स्टार प्लस के
मास्टर शेफ में भी कोई वेजेटिरियन नॉनवेज बनाने से मना कर सकता है?
वैसे अगर
आप धारा के विपरीत चलते हैं तो भी आपको सफलता मिलती है। जिन पुरुषों ने खाने के संबंध
में प्रयोग किए हैं उन्हें सफलता मिली है मसलन मास्टर शेफ के तीनों शेफ पुरुष हैं।
किरण बेदी जब पुलिस में आई तो इकलौती पुलिस आफिसर बनी जिन्हें पूरा भारत जानता है।
मुझे खाना बनाना अच्छा नहीं लगता, मैं बोर जाता हूँ पर मुझे लगता है कि रुचि
से खाना बनाने वाले लोग दुनिया के सबसे अच्छे लोग हैं क्योंकि वे दूसरों के लिए ऐसा
करते हैं। शायद उनका प्यार ही खाने में स्वाद भर देता होगा।
utam-**
ReplyDeleteखाना बनाने का काम नारियों को इसलिए नहीं दिया गया था कि वो जज्बाती होतीं हैं, इसलिए दिया गया था कि वो अधिकतर घर में रहतीं थीं। सिर्फ खाना बनाना ही क्यों, दर्जी का काम, कढ़ाई का काम, साड़ी बनाने का काम भी, मूर्तियाँ बनाने का काम, अधिकतर पुरुष ही करते हैं।
ReplyDeleteमास्टर शेफ का जज़्बाती होना बिलकुल समझ में आता है। पूरी पब्लिक के सामने उनकी कला स्टेक पर लगी होती है, उनका कैरियर और उनका नाम दाँव पर लगा होता है। बात सिर्फ इस एक एपिसोड की नहीं होती, उसके बाद की होती है, नौकरी, बिजिनेस, उन सब पर, इस हार-जीत का असर तो होता ही है।
पुरुष शेफ के आगे नारी शेफ कहाँ ठहरेगीं ? फ़ाइव स्टार होटलों में देखिये :-)
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